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आरा: गोढ़ना रोड की बदहाल सड़कों और नालियों का जिम्मेदार कौन होगा ?

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आरा की एक ऐसी सड़क, जिसे देखकर लोगों को जाने का मन नहीं करता. इस सड़क से गुजरने वाले लोग बताते हैं कि इस रोड से गुजरना मतलब अपने शरीर में धूल का प्रवेश करना, जिससे फेफड़ों में कई बीमारियां उत्पन्न हो जाती है. लोगो को इन सड़कों से गुजरना दूभर हो गया है.

यही नहीं, सड़के तो सड़के नालियों का भी बुरा हाल हुआ है. इन सड़कों से डामर गायब है, तो कहीं गड्ढे हो गए. नाले– नालियों के गंदे पानी सड़कों पर तैर रहे हैं, जिससे राहगीर को गुजरते हुए बड़ी गाड़ियों के चक्के से, उनके कपड़े पर छिटके पड़ जा रहे हैं. इन सड़कों का हाल बरसात के दिनों में और भी बदहाल हो जाता है. मानों सड़कों पर नदिया तैर रही है, उबर– खाबड़ सड़के, अनजान लोगों को मौत का दावत देती है. इस रोड पर रिक्शा से लेकर टेंपो वाले चलाने से कतराते हैं.
स्थानी निवासियों का कहना है कि इन सड़कों के बारे में संबंधित विभागों के अधिकारी को सूचना दी गई है लेकिन इन सड़कों का निर्माण अब तक नही हो पाया. नगर निगम और सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी मौन साधे हुए हैं.

नालियों का जलजमाव

ये तस्वीर गोढना रोड की नाली की है, जहां पानी इकट्ठा होकर चुपचाप बैठी हुई है. वजह इन्हे निकलने में दिक्कत हो रही है. नालियों का ना ओर दिख रहा है, ना छोड़. नालियां तो बना दी गई, लेकिन इनके निकास का समाधान अब तक नहीं हो पाया. इन नालियों में गिरे कचरे भी नालियों को भरने का काम कर रहे हैं. अगर साफ सफाई का ख्याल रखा गया होता तो इन नालियों का हाल ऐसा ना होता.
कैसी ये नगर निगम वाले दुबारा वोट मांगने के लिए जनता के पास चले जाते हैं. उनको खुद पर लज्जा भी नहीं आती. अगला लज्जा ही आती, तो जनता के पास वोट मांगने नहीं जाते, जनता स्वयं अच्छे काम को देखकर वोट दे देती. इन्हें जनता से वोट लिए प्रार्थना करने की जरूरत नहीं पड़ती.
मेयर के चुनाव के लिए कई लोगों ने नामांकन किया है, लेकिन मेयर बन जाने के बाद. इन्होंने जो भी जनता से वादा किया था, वह सब भूल जाते हैं सिर्फ उन्हें गद्दी हासिल करनी होती है. न जानता की बात सुनेंगे और न ही खुद इन समस्याओं का हल निकालेंगे.

गायों के शरीर में कचड़ा प्रवेश कर रही है

दूसरी तस्वीर आपको भयावह करने वाली है. ये तस्वीर गोढना रोड का नया शिव मंदिर के पास की है, जहां पर हमारी टीम ने इसकी तस्वीरें ली. हमारी टीम ने इन गायों को हटाने का प्रयास किया लेकिन यह गाय हटने के बाद फिर से दोबारा आ जा रही थी. ये गायें इन कचड़ों से कुछ खाने के लिए ढूंढ रही थी.अगर नगर निगम सही टाइम पर इन कचरा को उठा लेती तो इन गायों के शरीर में पॉलीथिन के टुकड़े नहीं प्रवेश करते. गायों के अंदर पॉलिथीन प्रवेश करने से उनकी मौत हो जा रही है, इसका जिम्मेदार कौन होगा.
 
मेरी टीम जब तक थी, इन गायों को हटाने की कोशिश की. लेकिन हमें लगा कि हम कब तक गायों का पहरा देंगे. इनकी तस्वीरें ले ली गई, जिससे जनता जागरूक हो सके ताकि उन्हें पता चल सके कि आप अपना वोट सही लोगों को दे, वरना सड़को से लेकर नाली और इन गायों के शरीर में पॉलिथीन के टुकड़े इसी तरह जाते रहेंगे.

नालियों को कवर नही किया गया

तीसरी तस्वीर भी गोढ़ना रोड की है, जहां पर नालियों को कवर नहीं किया गया, जिस कारण राहगीर आम दिन इन नालियों में गिर जाते हैं. इन नालियों से मच्छरों का ठहराव होता है और कई कचरे इन नालियों में प्रवेश कर जाते हैं जिस कारण पानी का निकास धीरे-धीरे हो रहा है.
रात को यह नालियां, कवर न होने की वजह से नागरिक गिर जाते हैं, जिस कारण उन्हें बार-बार हॉस्पिटल की यात्रा करनी पड़ रही है. यहां के लोगो का मानना है कि नगर निगम वाले चुनाव के टाइम अच्छी-अच्छी बातें करते हैं, फिर मुकर जाते हैं.

पुल का हुआ बुरा हाल

चौथी तस्वीरें कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है, यह एक पुल है जो गोदना रोड के नहर के स्थित में है. आम लोग इस रोड के उस तरफ जाने के लिए इसी पुल से होकर गुजरते है. यहां के लोग करें भी तो क्या करें. अगर आप इन पुल से गुजरोगे तो मानो अपनी मौत को दावत दे रहे हो. कई लोग इसी पुल से मोटरसाइकिल लेकर गुजरते है. उनका मानना है कि अगर इस पुल से ना गुजरे तो कहां से गुजरे क्योंकि इसके सिवा दूसरा कोई ऑप्शन ही नहीं देखता.

अब जनता स्वयं करेंगे, मेयर के पद का फैसला

आपको बता दूं कि मेयर व डिप्टी मेयर के पद का फैसला अब जनता स्वयं करेंगे जिससे आम आदमी, सही मेयर को अपना वोट दे सके सकेंगे. वरना पहले नगर निकायों की वादों के निर्वाचित पार्षद नगर निगम के मामले में प्रमुखों को प्रमुखों महापौर और उपमहापौर का चयन करते थे. बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 23 और धारा 25 में संशोधन किया गया.
इन तस्वीरों को देखकर शायद लोग को पता लग गया होगा कि आपका एक वोट कितना कीमती होता है. अगर आपने सही लोगों को मेयर का पद दिलाते तो आज यह सड़के की दुर्दशा नहीं होती. बताया जा रहा है कि इन सड़कों का निर्माण 5 साल पहले हुआ था, जो कुछ ही दिनों में जर्जर हो गई, वजह सड़कों का अच्छे से निर्माण ना होना. ठिकेदार पैसे लेकर अच्छे से सड़कों का निर्माण नहीं करते हैं. इन ठिकेदार पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, जो इस तरह की सड़के बना रहे हैं.
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