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भारत ने पाकिस्तान का रिकॉर्ड तोड डाला, 78 हजार से ज्यादा लोगों ने एक साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराया

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भारत देश ने एक अद्भुत रिकॉर्ड अपने नाम किया इस देश में पाकिस्तान के 18 साल पहले का रिकॉर्ड तोड़ डाला, जो पिछले कई सालों से कायम था. भारत ने बिहार के भोजपुर की धरती पर यह रिकॉर्ड स्थापित किया है.

भारत ने 78 हजार से ज्यादा झंडा फहराकर गिनीज बुक में नाम दर्ज किया

गिनीज रिकॉर्ड के मुताबिक, भारत देश के बिहार के भोजपुर जिले के दलौर मैदान में 23 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में 78220 लोगों ने एक साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराया और एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया. सूत्रों के हवाले से यह जानकारी मिली है कि यह रिकॉर्ड गिनीज बुक के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में हुआ था. लोगों को शारीरिक पहचान के लिए बैंड पहनने के लिए कहा गया, ताकि गिनती में आसानी हो सके.
23 अप्रैल को यह रिकॉर्ड बाबू वीर कुंवर सिंह जयंती पर हुआ था. यह रिकॉर्ड बाबू वीर कुंवर सिंह की धरती भोजपुर के जगदीशपुर के दलौर मैदान में हुई था, जहां पर पूरे 5 मिनट तक भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया. यह रिकॉर्ड स्थापित करना इतना आसान नहीं था. पिछले कई दिनों से इस कार्यक्रम के लिए लोगो को बताया गया, तब जाकर यह रिकॉर्ड स्थापित हुआ.

कौन से बाबू वीर कुंवर सिंह जिनके जयंती पर यह रिकार्ड बना

बाबू वीर कुंवर सिंह स्वतंत्र सेनानी थे. उनका जन्म 13 नवंबर 1777 को बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव में हुआ था. उनके पिता बाबू साहजादा सिंह जमींदार थे. उनका परिवार परमार राजपूत शासक राजा भोज के वंशजों में से थे. उनकी माता का नाम पंचरत्न कुंवर था. उनके तीन छोटे भाई थे, जिनका नाम अमर सिंह दयालु सिंह और राजपति सिंह.
इतिहासकार की माने तो बाबू वीर कुंवर सिंह एक बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने अपनी जान देश के लिए कुर्बान कर दिया. बताया जाता है कि कुंवर सिंह ने 27 अप्रैल 1857 को जब अंग्रेज हुकूमत ने आरा को कब्जा करना चाहा तो उन्होंने फिरंगीओ को कई बार खदेड़ा. एक बार अंग्रेजी सेना ने अचानक आरा पर हमला किया, वीर कुंवर सिंह की सेना उनसे भिड़ी और कई लोगों की जान चली गई. परंतु उनकी सेना ने हार नहीं माना. लेकिन अंतिम में अंग्रेजों के सामने हार गए. कई लोगों की माने तो बाबू वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजों के हाथे नहीं मरे, जब उन्हें लगा कि उनकी जान जाने वाली है तो उन्होंने खुद से अपने आप को खत्म कर डाला क्योंकि वह जानते थे अगर अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ लिया तो वह तड़पा तड़पा कर बुरी सजा देंगे. बाबू वीर कुंवर सिंह अपने पूरे परिवार के साथ एक कुएं में कूद गए थे ताकि उनके परिवार को पहचान कर अंग्रेज सजा देंगे. उन्होंने अंतिम सांस जगदीशपुर के किले में 23 अप्रैल 1858 को ली और इस दुनिया से चले गए. उस समय उनकी उम्र 80 वर्ष थी. अगर वह हारे नहीं होते तो अंग्रेज वर्ष 1857 में ही भारत को छोड़ कर चले जाते.
गौरतलब है, पिछला विश्व रिकॉर्ड 56,000 पाकिस्तानियों द्वारा बनाया गया था जिन्होंने 2004 में लाहौर में एक समारोह में अपना राष्ट्रीय ध्वज फहराया था.
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