जैसे कि आप लोग जानते हैं हर एक सफल लोग के जीवन में कई चुनौतियां आती है, वे उन चुनौतियों को स्वीकार करके आगे बढ़ते हैं तब ही जाकर वे अपने जीवन में सफल हो पाते हैं. आज आप जानने वाले है डॉ मनोज सोनी के जीवन के बारे में, जिन्होंने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे. इसके बावजूद भी वे कभी हार नहीं माने तभी जाकर आज वे यूपीएससी के चेयरमैन बने. अगर उनकी जगह कोई दूसरा व्यक्ति होता तो कब का हार मान लिया होता. उन्होंने अगरबत्ती बेचकर पढ़ाई की और साथ ही घर का खर्च चलाया. तो चलिए जानते हैं, डॉ मनोज सोनी के बारे में.
डॉ मनोज सोनी का जन्म 17 फरवरी 1965 को हुआ था. बचपन से ही बहुत संघर्षशील इंसान थे. उन्होंने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया. सोनी साहब का एक ऐसा दौर भी आया जब वह अपनी जिंदगी से टूट गए थे यह तब की बात है जब उनके पिता की मृत्यु हो जाती है. उस समय सोनी साहब पांचवी क्लास में पढ़ते थे. अब उन्हें पढ़ाई में दिक्कत होने लगी क्योंकि उनके पापा भूलेश्वर फुटपाथ बाजार में अर्ध –निर्मित कपड़े बेचते थे. वहीं से, उनकी पढ़ाई का खर्च चलता था. सोनी साहब को लगा कि उन्हें कुछ काम करना चाहिए, जिससे पढ़ाई का खर्च चल सके. उन्होंने अपनी परिवारिक और शिक्षा के लिए धन जुटाने के मकसद से, मुंबई के चॉल में अगरबत्ती बेचना शुरू किया.
आपको बता दूं कि उनके पिता मुंबई में मिशन के सदस्य थे. पिता की मृत्यु के बाद अनुपम संगठन ने सोनी साहब की शिक्षा का समर्थन किया और उन्होंने कम उम्र से ही मिशन के सदस्य के रूप में कार्य किया. धीरे-धीरे पढ़ाई करते गए और साथ में अगरबत्ती बेचते गए. सोनी साहब कक्षा 12 में पहुंच गए, काम करते हुए पढ़ना उनके लिए काफी मुश्किल हो गया था. उन्होंने अपनी परीक्षा के दौरान भी काम जारी रखा, कक्षा बारहवीं में फेल हो गए जिससे वह काफी निराश हो गए थे. उसके बाद राज रत्न पीटी पटेल कॉलेज में कला का चयन किया. उन्होंने वर्ष 1995 में डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की. सोनी साहब को राजनीतिक विषय में महारथ हासिल था. उन्होंने वर्ष 1991 से लेकर वर्ष 2016 तक सरदार पटेल विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों को पढ़ाया. 2005 और 2008 के बीच दो विश्वविद्यालय एमएसयू वडोदरा के कुलपति के रूप में कार्य किया. 10 जनवरी 2020 को, सोनी ने स्वामीनारायण संप्रदाय के अनुयायी सदस्य के रूप में निष्काम कर्मयोगी के रूप में दीक्षा प्राप्त की.
डॉ मनोज सोनी की शादी पृथा नडियाद से हुई है, जो j&j कॉलेज में पढ़ाती है. उनका एक बेटा भी है, जिसका नाम अर्श सोनी है, जो अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है. उन्होंने ‘पोस्ट कोल्ड रिलेशंस’ पर शोध किया, यह शोध 1992 और 1995 के बीच किया. उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी है जिसका नाम ‘अंडरस्टैंडिंग द ग्लोबल पॉलिटिकल अर्थक्वेक’ है. इस किताब को अश्गेट पब्लिशिंग लिमिटेड द्वारा प्रकाशित किया गया था.
उन्हें कई पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. वर्ष 2013 में उन्हें आईटी साक्षरता के साथ समाज के वंचित वर्ग को अधिकारिता प्रदान करने के लिए बैटोन रॉग सम्मान प्रदान किया गया. उसके बाद वर्ष 2015 में सोनी साहब को चार्टर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अकाउंटेंट्स लंदन यूके द्वारा दूरस्थ शिक्षा नेतृत्व के लिए वर्ल्ड एजुकेशन कांग्रेस ग्लोबल अवार्ड दिया गया.
उन्होंने उच्च शिक्षा और लोक प्रशासन के अनेक शिक्षा संस्थानों के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में अपनी सेवाएं दी. यही नहीं, गुजरात विधानसभा की एक अधिनियम द्वारा स्थापित एक अर्ध–न्यायिक निकाय के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दी, जो गुजरात में और सहायता प्राप्त व्यवसायिक संस्थानों के फीस ढांचे को विनियमित करता है.
गौरतलब है, डॉ मनोज सोनी को यूपीएससी के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप कुमार जोशी की जगह, नियुक्त किया गया है.