भारत में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है, लेकिन भारत सरकार चुप्पी साधी है. जब से नरेंद्र मोदी की सरकार आई है, तब से बेरोजगारी से युवा परेशान है. अगर आप पिछले 5 साल का रिकॉर्ड देखेंगे, तो दंग रह जाएंगे. कई घरों की जिंदगी उजर गई, कईयों के हंसता खेलता परिवार की जिंदगी से खुशी गायब हो गई, लेकिन सरकार केवल राजनीति कर रही है. जब वोट लेना हो तो रोजगार की लालच देते हैं, जब जीत गए तो किए हुए वादे दिमाग से निकल जाते हैं. वास्तव में, उनके दिमाग से निकलता नही है, उनकी दिमाग में बातें जरूर आती है पर वे करना नहीं चाहते. उन्हें सिर्फ और सिर्फ अमीरों को अमीर बनाना है, परंतु बेरोजगार लोगो का क्या होगा. क्या वे इसी तरह अपनी जान देते रहेंगे या कोई निष्कर्ष निकलेगा.

|
Image source: The guardian nigeria news |
सरकार का कहना है कि जनसंख्या के कारण बेरोजगारी पर अंकुश नहीं लग रहा है लेकिन वास्तव में देखा जाए तो बेरोजगारी जैसे कुछ समस्या ही नहीं रहेगी जब सरकार चाह दे तो. कहा जाता हैं, इंसान चाह दे तो क्या नहीं कर सकता, उसी तरह भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी सब कुछ कर सकते हैं, परंतु रोजगार देने की बजाय ‘मन की बात’ कहते हैं. उनका कहना है कि भारत युवाओं का देश है, इसलिए हर हुआ अपना एक छोटा सा व्यापार करें ताकि और लोगों को रोजगार मिल सके, परंतु जो छात्र कई दिनों से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, उनका क्या होगा. छात्रों के सरकारी जॉब फॉर्म का पता नहीं है, कब निकलेगा. परंतु नौकरी का फॉर्म निकले चाहे ना निकले, उनके पढ़ाई रूम से शव जरूर निकलेंगे, क्योंकि इतने दिनो से पढ़ाई जो कर रहे है.
सरकारी नौकरी की परीक्षा समय पर नहीं हो रही, जिस कारण छात्र ले रहे जान
कई छात्रों से बातचीत के बाद पता चला कि पिछले पांच से सात साल में सरकारी भर्तियां बहुत कम निकल रही है, जिससे कई छात्र परेशान हैं परंतु वह कुछ नहीं कर सकते सिवाय मेहनत के.
एयर फ़ोर्स हर साल 2 बार एग्जाम कंडक्ट कराती थी, परंतु अब एक भी शुद्ध से नहीं करा पा रही है, जिससे इन छात्रों का मनोबल टूट गया है. अगर इस तरह चला तो युवा बेरोजगार तो होंगे साथ में अपनी जान भी देंगे. वर्ष 2021 का एयरफोर्स एग्जाम रिजल्ट अब तक नही आ पाया है और अभी आने की कोई संभावना नहीं है.
आर्मी जॉब का भी वही हाल है, कई दिनों से आर्मी भर्ती प्रक्रिया में देरी चल रही है, परंतु इसका जिम्मेदार कौन होगा. अगर किसी छात्र का लास्ट अटेम्प्ट हो और उसका age खत्म होने वाला हो और एग्जाम फॉर्म ना भर पाए तो क्या होगा. उस छात्र का वाकई में मनोबल टूट जाएगा. वो जिंदगी में कुछ करने लायक नहीं रहेगा और उसका मानसिक संतुलन अस्वस्थ रहने की पूरी संभावना है और जब डिप्रेशन में जाएगा तो खुदकुशी करेगा.
रेलवे परीक्षा का तो सबसे बुरी स्थिति है. ग्रुप डी एग्जाम को कंडक्ट कराने में 3 साल से ऊपर हो गए. वर्ष 2019 में जीडी की वैकेंसी आई थी पर अब तक एग्जाम होने का कोई उम्मीद नहीं है. हमेशा नया डेट बढ़ाकर एग्जाम देने की बात कही जाती है. परंतु एग्जाम तो होता ही नहीं है और डेट बढ़ जाती है. फिर से खबर सामने आई है कि मई या जून में जीडी का एग्जाम होगा. अब देखना होगा कि क्या रेलवे समय पर परीक्षा लेगा या नहीं.
5 साल से लगातार बेरोजगारी से मौत की संख्या में इजाफा हुआ
वर्ष 2016 में 11,173 लोगों ने बेरोजगारी के चलते खुदकुशी कर लिया. वर्ष 2017 में यह आंकड़ा 1000 बड़ा और 12,241 तक जा पहुंचा. वर्ष 2018 में बेरोजगारी से 12,936 युवाओं ने जान दी. वर्ष 2019 में कुल 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या किया. इन 1,39,123 लोगों में से 10.1% यानी कि 14,051 लोगों ने बेरोजगारी से अपनी जान गवा दी. इसका मतलब उस साल 38 युवा बेरोजगारी के चलते प्रतिदिन आत्महत्या जैसे कदम उठा लिए. वहीं वर्ष 2020 में यह आंकड़ा और बढ़ा. क्योंकि उसी साल कोरोना वायरस शुरू हुआ और लॉकडाउन लगा, जिस कारण बेरोजगारी दर चरम सीमा पर पहुंच गई, जिससे कई युवा ने आत्महत्या किया. आपको मालूम हो कि वर्ष 2020 में 1,530,00 लोगों ने आत्महत्या किया था, जिसमें से 16 हजार से ज्यादा बेरोजगारी के कारण लोगो ने आत्महत्या किया. यह संगठित और असंगठित सरकारी और निजी सभी क्षेत्रों में है तथा इसमें शिक्षित और अशिक्षित दोनों तरह के बेरोजगार शामिल है.
आपको जानकारी के लिए बता दूं कि पिछले 5 वर्ष में रोज 35 लोग बेरोजगारी से आत्मदाह कर रहे हैं. वहीं, हरेक घंटे तीन लोग खुदकुशी कर रहे हैं. यह रिकॉर्ड बेहद डरावने है परंतु सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि वह अपनी बात पर कायम रहती है. खुदकुशी के मामले में पुरुष वर्ग आगे हैं. वर्ष 2018 रिपोर्ट के मुताबिक, औसतन 82% पुरुष ने बेरोजगारी के चलते अपनी जवान गवां दी.
भारत में सबसे ज्यादा मौत केरल राज्य में है, जहां पर 1585 लोगों ने वर्ष 2018 में जान गवा दिया. उसके बाद तमिलनाडु राज्य है, जहां पर 1579 आत्महत्या की खबरे सामने आई थी. तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है. महाराष्ट्र में 1260 खुदकुशी के मामले दर्ज किए गए. चौथे और पांचवें नंबर पर कर्नाटक (1094) और उत्तर प्रदेश (902) शामिल है.
छात्र देश का भविष्य है परंतु वर्तमान सरकार समझे तब न
इंसान की कीमत क्या होती है उस घर से जाकर पूछो जिसके घर का चिराग पढ़ाई करने के दौरान दुनिया से छोड़कर चला गया. सरकार के लिए भले ही आंकड़ा हो सकता है परंतु उस माता-पिता की क्या हालत होती होगी, जिसने अपने बच्चे को पढ़ा-लिखा कर बड़ा किया और मन में एक सपना था कि बेटा बड़ा होकर सरकारी नौकरी करेगा. परंतु उन्हें क्या पता था कि सरकार उनके बेटे को इस तरह ले डूबेगी. अगर सब कुछ सही समय पर सरकारी नौकरी की प्रक्रिया होती है तो छात्र क्यों आत्मदाह करेंगे. कहां जाता है कि छात्र भारत देश का भविष्य है, परंतु छात्र ही नहीं रहेंगे तो कहां से भविष्य रहेगा. यह बातें भले ही सरकार को चुभेगी. परंतु सच्चाई से पीछे नहीं हट सकते, वरना इसी तरह जान जाती रहेगी.
लेटेस्ट न्यूज़ के लिए इस वेबसाइट को सब्सक्राइब करें ताकि आने वाली नई खबर की नोटिफिकेशन सबसे पहले आप तक पहुंचे.