लाइफस्टाइल

‘जो होता है अच्छे के लिए होता है’–अरुण की कहानी से जानें

खबर शेयर करें

Monday motivation :

यह कहानी अरुण की है, जो सपनों की दुनिया में खोए रहता है और सपनों में जीता रहता है. उसे जिंदगी में बड़ा आदमी बनना है मंहगे कारों में घूमना है अच्छे कपड़े पहनना अच्छे घरों में रहना. यानी कि लग्जरियस जीवन जीना. उसे लगता कि लोग उसकी प्रशंसा करते, जब कभी भी लोगों के बीच में आए तो लोगों की तालियों उसके कानों में गूंजता रहे. ख्वाब तो उसके बहुत है और क्या ख्वाब पूरा होता है या ख्वाब, ख्वाब बनकर रह जाएगा, आइए जानते हैं.

अरुण पढ़ने में बहुत इंटेलिजेंट था

अरुण मां बाप का इकलौता बेटा था और उसकी एक बहन थी, जो उससे बड़ी थी. उसके माता पिता उससे बहुत प्यार करते थे. वह बचपन से ही पढ़ने में तेज था. वह बहुत होशियार भी था लेकिन बहुत सीधा-साधा था. उसके दोस्त लोग उसका काफी फायदा उठाते थे. जब भी वह स्कूल जाता था वहां पर हमेशा उसके दोस्त लोग तो से परेशान करते. स्कूल के दोस्त इसलिए भी उसे तंग करते क्योंकि वो उम्र में छोटा था. लेकिन शिक्षक लोग काफी उससे प्रभावित रहते थे क्योंकि वह हमेशा टेस्ट में अच्छे नंबर लाता था और अनुशासन में भी रहता था और धीरे-धीरे अरुण और पढ़ने में तेज होता गया. उसके नंबर इतने ज्यादा आने लगे कि कभी कभार वह स्कूल टॉप भी करता परंतु उसे लगता कि पढ़ाई में अच्छा हुं और अच्छा नंबर भी आ जाता है. क्या इसी आधार पर मैं बड़ा आदमी बन जाऊंगा ?

कुछ सालों बाद अच्छे मार्क्स से हाई स्कूल से पास हो गया लेकिन जिंदगी का वह मोड़ गया जिसे उससे भनक भी नहीं थी और ट्वेल्थ में फेल हो गया. तब तो मानो कि उसके जीवन में वो तूफान आ गया जिसकी उसके कभी कल्पना भी नहीं की होगी. एक बार हुआ यूं कि वह failure लोगों की सक्सेस स्टोरी पढ़ता रहता था, जिससे उसके माता-पिता हमेशा गुस्सा हुआ करते थे. उसके परिवार वाले यहां तक कह देते कि तुम भी फेल होगो. पढ़ने लिखने का नहीं है दिनभर लैपटॉप में असफल लोगो की कहानियां पढ़ते रहता है. अरुण भी कभी-कभी कह देता मैं फेल होऊंगा. देखते हैं क्या होता है. जो उसके माता पिता बात कहते थे और इस बार अरुण फेल भी हो जाता है.

उसके बाद मानो अरुण की दुनिया ही बदल जाती है, जो पहले लोग उसकी तारीफे करते थे अब उसे ताने सुनाने लगे. यहां तक कि उसके माता-पिता भी उसे डांटने और तंज कसने लगे. उसके माता-पिता हमेशा उसे बोलने लगे कि ‘बताओ अब हमारा समाज में इज्जत ही क्या रह गया, मुंह दिखाने के लायक नहीं रहे हमारा नाक कटवा दिया तुमने.’ उसके दोस्त लोग भी उसे काफी डिप्रैस करते. वह पहले मामा से बहुत प्रश्न पूछता था क्योंकि नाना जी ने कहा था, ‘अगर किसी सवाल का जवाब पूछना होगा तो मामा से पूछ लेना’. अरुण के नाना अरुण के पिताजी से बोलते हैं की राजू (अरुण के मामा) तो बता रहा था कि अरुण या तो पढ़ने में तेज होगा या बचपना होगा. अरुण के नाना ने यहां तक कह दिया कि उसे एक फॉर्म की दुकान खोल देनी चाहिए.

उसके जीवन में लगातार परेशानी आई

अरुण लोगो के ताने सुन सुनकर तंग आ गया था. उसे लगता अब तो जीना ही बेकार है. परंतु फिर से अरुण ने एग्जाम देने की सोची तो उसका एडमिट कार्ड ही नहीं आया. फिर से पढ़ाई चालू कर दी अगले साल एग्जाम देने के लिए. एग्जाम का दिन आ गया लिए गया और पहला पेपर का एग्जाम दिया लेकिन दूसरा पेपर का एग्जाम देने गया तो उसके साथ घटना घटित हो गया. हुआ यूं कि उसका पहला पेपर की कॉपी एग्जाम हॉल में रह गया था. अरुण के दोस्तों ने बताया कि तुम्हारा कॉपी यहीं पर गिरा है. जाओ प्रिंसिपल ऑफिस में नहीं तो एग्जाम रद्द हो जाएगा. बेचारा अरुण घबड़ा गया एक तो इतने सालो से लगातार असफल हो रहा था फिर से उसके सामने ऐसी समस्या खड़ी हो गई. फिर वो प्रिंसिपल ऑफिस में गया जिस कॉलेज में एग्जाम दे रहा था. अरुण ने प्रिंसिपल से कहा की मेरी एग्जाम की कॉपी परीक्षा हॉल में गिरी मिली. प्रिंसिपल ने उसपर आरोप लगा दिया कि तुमने यह कॉपी घर से ले आई होगी. इससे पहले कि मजिस्ट्रेट आए, तुम यहां से जाओ नहीं तो तुम्हें पकड़ लेगी.

परंतु अरुण डटा रहा क्योंकि उसने यह गलती की नहीं थी तो वह नही गया. अरुण ने बोला मजिस्ट्रेट आए या एसपी आए, मुझे डर नहीं लगता जब मैंने गलती की ही नहीं तो मुझे डरने की कोई जरूरत नहीं है. जो होना होगा वह तो होगा ही तो प्रिंसिपल को डर लगने लगा. कहीं यह लड़का मुझे न फंसा दे. प्रिंसिपल ने अपना बचाव करते हुए, उसके खिलाफ चोरी का झूठा आरोप लगा दिया और प्रशासन को बुलाकर उसे जेल भिजवा दिया.

अरुण को कुछ समझ नही आ रहा था ऐसा उसके साथ ही क्यों हुआ क्योंकि उस कॉलेज में बहुत सारे लड़के एग्जाम दिए परंतु मेरी ही कॉपी वही पर क्यों रह गई. जेल में सोचते सोचते 8 दिन बीता लिया. अरुण मंगलवार के दिन जेल गया था और मंगलवार को जेल से छूटा. उसे लगा कि मेरे ऊपर मंगल ग्रह तो नही. अरुण फिर से परीक्षा दे उसके अंदर अब इतनी ताकत नहीं बची थी वो एक दम टूट चुका था क्योंकि वो कई सालों से ठोकरे खा रहा है.

उसके बाद, उसका पुराना दोस्त का नौकरी लग गया, जिसके चलते एक उम्मीद जगी. अरुण के परिवार वाले आगे नही पढ़ाना चाहते क्योंकि 12th करने में 5 साल लगा दिया था. अरुण के दोस्त ने कहा जो तुम्हें लाइफ में बनना है मैं तुम्हारी मदद करूंगा. उसके बाद अरुण ने ओपन बोर्ड से 12वीं का एग्जाम दिया और अपने दोस्त से कहा की 12वीं पास तो कर लिया परंतु आगे की पढ़ाई के लिए बहुत खर्चे लगेंगे. उसके दोस्त ने कहा– मैं हूं न. फिर से अरुण के अंदर पढ़ाई की चिंगारी जगी और मन लगाकर पढ़ने लगा.

अब वह बड़ा आदमी बन गया

अरुण के दोस्त ने अरुण का साथ छोड़ दिया फिर अरुण को कुछ समझ नही आ रहा था की बिना पैसे के पढ़ाई कैसे होगी. उसने पढ़ाई बीच में छोड़कर बिजनेस चालू कर दिया. उसने चाय का ठेला लगाया और उसकी चाय बहुत बिकने लगी. धीरे धीरे पैसा जुटाते गया और एक होटल खोल दिया. उसके होटल में चाय सबसे फेमस थी जिसके चलते हमेशा भीड़ लगी रहती. 5 साल बाद अरुण करोड़पति बन गया और उस प्रिंसिपल के पास गया जिसने उसे चोरी के आरोप में जेल भेजा था. जब उसके साथ, प्रिंसिपल ने उसपर झूठा आरोप लगाया था तो उसने कसम खाई थी की प्रिंसिपल को सजा दिलाकर रहूंगा. परंतु अरुण ने उन्हें माफ किया और कहा की अगर मैं जेल नही जाता तो मेरे माता पिता मुझे आगे की पढ़ाई के लिए बाहर भेजते और मैं सिर्फ पढ़ाई करता परंतु अपने मुझे जेल भेजा और मेरी छवि खराब हुई जिस कारण मेरे माता पिता ने पढ़ाई नही करवाया और आज मैं इस मुकाम तक पहुंच पाया. इसलिए कहा जाता है कि ‘जो होता है अच्छे के लिए होता है.’

इसी तरह की जानकारी के लिए इस वेबसाइट को सब्सक्राइब करें ताकि आने वाली नई खबर नोटिफिकेशन सबसे पहले आप तक पहुंचे और हां आपको यह कहानी कैसी लगी कमेंट में जरूर लिखना.


खबर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *